प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए प्रसिद्ध कवि लॉर्ड बायरन की bal kahaniya ले कर आये हैं , दरअसल ये कहाँनी उनके वफ़ादार कुत्ते की bal kahaniya है जो आपको पसंद आयेगी |
वफ़ादार कुत्ता
इंग्लैंड के नौटिंघम शहर में प्रसिद्ध कवि बायरन रहते थे।अधिकांश लोग उन्हें लॉर्ड गॉर्डन बायरन के नाम से जानते हैं।उनका निवास कहलाता था न्यूस्टैड ऐबि, जिसके चारों ओर मखमली घास के मैदान थे। अनेक प्रकार के फूलों से लदे वृक्षों के झुंड वहां हर ओर दिखाई पड़ते थे। हवाओं के झोंके फूलों की सुगंध महल के हर कोने में पहुंचाते रहते थे। उसी में मिली रहती थी चिड़ियों की चहचहाहट । इतना मनोरम था वह स्थान कि पृथ्वी पर स्वर्ग का एक छोटा-सा हिस्सा लगता था। लॉर्ड बायरन तो कवि थे। वहां रहकर उन्होंने कई कविताएं लिखीं। लॉर्ड बायरन एक कवि ही नहीं,बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह अच्छे मुक्केबाज थे। अन्याय का विरोध करते थे। आजादी के संदेशवाहक थे। ग्रीस को स्वतंत्रता दिलाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयत्न किए। लॉर्ड बायरन को पशु-पक्षियों से बहत प्रेम था। उनके पास अनेक घोड़े थे। एक भालू, चार बंदर और पाँच बिल्लियां भी उनके पास थीं। एक तोते, एक चील और एक कौए ने भी उनके निवास स्थान पर डेरा जमा लिया था। एक टूटी टांग की बकरी को भी उन्होंने अपने निवास स्थान में शरण दी हुई थी। लॉर्ड बायरन के निवास स्थान में एक झील थी। इस झील में कुछ हंस और बगुले आ बसे थे। परंतु इन सब पशु-पक्षियों में से सबसे अधिक प्रिय थे उनके कुत्ते।
लॉर्ड बायरन के एक कुत्ते का नाम था चर्चिल। चर्चिल की मृत्यु पर बायरन का हृदय इतना द्रवित हुआ कि उन्होंने उसकी स्मृति में ‘चर्चिल की कब्र’ नामक कविता लिखी, जो सारे संसार में प्रसिद्ध हो गई। उनका एक और प्रिय कुत्ता था बोट्सवेन। लॉर्ड बायरन उसे सदा अपने साथ रखते थे। वह अति सरल स्वभाव वाला कुत्ता था।
जो भी उनके घर आता, बोट्सवेन उसका स्वागत करता। किसी पर – भौंकना या डराना उसके स्वभाव में ही नहीं था। वह सभी को मित्र मानता था। एक दिन ऐसे ही मित्रतावश वह एक डाकिए के पीछे चल पड़ा। रास्ते में एक पागल कुत्ता सामने आ गया। बोट्सवेन ने तो मित्रता दिखाई, परंतु पागल कुत्ते ने उसे काट लिया, जिससे वह गंभीर रूप से बीमार हो गया। लॉर्ड बायरन ने रात-दिन लगाकर उसकी सेवा की। परंतु पागल कुत्ते द्वारा दी बीमारी से छुटकारा न मिल पाया। उसने प्राण त्याग दिए। लॉर्ड बायरन बहत दखी हए। उन्होंने यह सचना अपने एक
निकट के मित्र को ऐसे दी, जैसे परिवार के किसी निकट संबंधी के देहांत का समाचार दे रहे हों। उन्होंने लिखा-“बहुत कष्ट सहकर बोट्सवेन आज चल बसा। इतना कष्ट होते हुए भी उसने किसी भी व्यक्ति को तनिक भी चोट पहुंचाने का कभी भी प्रयत्न नहीं किया।”
– लॉर्ड बायरन ने अपने हाथों से बोट्सवेन को अपने निवास स्थान की वाटिका में दफनाया। उसकी कब्र पर खदवाया-“यहाँ वह दफन है, जो बहुत सुंदर था, परंतु उसमें जरा भी अभिमान न था। उसमें साहस था, परंतु क्रूरता नहीं। उसमें अनेक गुण समाए हुए थे। यह प्रशंसा चापलूसी होती, यदि किसी मनुष्य के लिए की जाती, परंतु यह तो एक श्रद्धांजलि है-बोट्सवेन नामक कुत्ते के लिए।”
यद्यपि लॉर्ड बायरन को अपनी कविताओं से काफी आय होती थी,परंतु फिजूलखर्ची के कारण उनका निवास स्थान नीलाम हो गया। जिन लोगों ने यह संपत्ति खरीदी, उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के चित्रों से उसे सजाया। कहीं भी लॉर्ड बायरन का नामोनिशान तक नहीं छोड़ा। यह सब तो किया, परंतु एक कुत्ते की कब्र नष्ट करने का साहस वे न जुटा सके। इतना समय बीत जाने पर भी सैलानी उस संपत्ति के नए मालिकों के चित्रों को देखने के लिए नहीं, बल्कि लॉर्ड बायरन के कुत्तों की कब्र देखने आते हैं। बोट्सवेन मरकर भी अपने स्वामी की ख्याति को बनाए हुए है। स्वामिभक्ति की इससे अच्छी मिसाल और कहाँ मिलेगी।
प्यारे बच्चो- आपको ये bal kahaniya कैसी लगी हमे जरूर बताइयेगा ताकि हम आपके लिए इसी तरह की मज़ेदार कहानियाँ ले कर आ सकें |
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