Inspirational story hindi for kids // भाग्य , कर्म और बुद्धि

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प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए inspirational story hindi ले कर आएं हैं ,आपके लिए inspirational story hindi लिखने का मतलब सिर्फ इतना है की आप इसे पढ़ कर अभिप्रेरणा हासिल करें | 

भाग्य , कर्म और बुद्धि

सुरजपुर के राजा सूर्य बहादुर एक दिन जंगल में शिकार खेलने गए वह शाम को जब वापस लौट रहे थे तब उन्होंने देखा दो पुरुष और एक स्त्री आपस में बहस कर रहे थे | राजा न पास जाकर पूछा-आप लोग क्यों आपस में लड़ रहे हो? आप सब का परिचय क्या है पुरुषों में से पहला बोला-मैं कर्म हूँ. दूसरा बोला मैं भाग्य हूँ, स्त्री बोली मैं बुद्धि हूँ | बद्धि बोली हमारे झगड़े का कारण है कि हम सब में सर्वश्रेष्ठ कौन है?
राजा ने कहा- तो यह बात थी, आप सबके झगड़े की_ तीनों ने कहा-अब आप ही बताइए हम तीनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है? राजा ने कहा- यह तो मैं अभी नहीं बताऊंगा, पहले मैं तुम सबको आजमा कर देखूँगा | राजा ने जंगल में एक लकड़हारे को लकड़ी काटते हुए देखा_ राजा तीनों से बोला- तुम्हें इसके ऊपर अपना प्रभाव दिखाना है|  तीनों ने कहा- ठीक है, राजा ने कर्म से कहा- आज से तुम अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दो.. एक हफ्ते बाद हम इसी जगह फिर मिलेंगे _कर्म ने लकड़हारे पर अपना प्रभाव दिखना शुरू कर दिया | 

 

 लकड़हारा अपने उत्साह से लकड़ी काटता था. लकड़ी इतनी ज्यादा होती कि वह एक बार में नहीं ले जा पाता| लकड़हारा जब पहले से ज्यादा लकड़ी काटने लगा तो कर्म खुश हो गया|  लकड़हारा – बेचारा जब  लकड़ी रखकर दूसरे बार आता तो वह लकड़ी न पाता, क्योंकि उसकी लकड़ी दूसरा उठा ले जाता|

एक सप्ताह बाद जब मिलें तो राजा ने कहा- कर्म तुमने तो अपना प्रभाव दिखा दिया, लेकिन लकड़हारे की हालत पहले जैसे ही है. वह अब भी दरिद्र है|  वह लकड़ी तो काटता है पर उसका सदुपयोग नहीं कर पा रहा है, कर्म कुछ नहीं बोला|

राजा ने कहा- भाग्य अब आज से तुम्हारी बारी है_ हम सब एक सप्ताह बाद यहीं मिलेंगे. भाग्य ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया|  लकड़हारा अब कर्म को छोड़कर भाग्य के भरोसे रहने लगा|  वह आलसी हो गया_ वह सोचने लगा, भाग्य में होगा तो वह अपना जीवन अवश्य सुखपूर्वक बिताएगा| भाग्य ने लकड़हारे का साथ भी दिया. वह लकड़ी काटने नहीं जाता, पर उसे उतना धन मिल जाता था, जितना उसे लकड़ी काटने पर मिलता था. यह देखकर भाग्य बहुत खुश हुआ…….
एक सप्ताह बाद चारों उसी जगह मिले. राजा ने कहा- भाग्य तुमने अपने प्रभाव से लकड़हारे को आलसी तो बना दिया पर उसे धनवान नहीं बनाया|

तुमने उस पर वो कृपादृष्टि दिखाई यह तो लकड़हारा पहले ही कमाता था | राजा की बात सुनकर भाग्य कुछ नहीं बोला |
राजा ने स्त्री से कहा, यानी कि बुद्धि से- आज से तुम्हारी बारी है|  एक सप्ताह बाद हम यहाँ मिलेंगे_ बुद्धि ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया| लकड़हारा अब दुगने उत्साह से लकड़ी काटने लगा, उसने आलस छोड़ दिया था|  उसने अब लकड़ी ढ़ोने के लिये बैलगाड़ी भी लाना शुरू कर दिया था| वह सारी लकड़ी बैलगाड़ी में भरकर बाजार ले जाने लगा, जिससे वह ज्यादा धन कमाने लगा और सप्ताह भर बाद ही उसकी हालत पहले से अच्छी हो गई|

एक सप्ताह  बाद जंगल में चारों मिले_ उस दिन बारिश भी हो रही थी , बारिश थमने पर। लकड़हारा लकड़ी काटने जंगल में आ गया_ उसे देखकर राजा ने लकड़हारे से कहा- क्यों भाई आज बारिश में भी लकड़ी काटने आए हो तुम? लकड़हारे ने कहा- भाई भाग्य उसी का साथ देता है जो कर्म करता है_ मैं कर्म कर रहा हूँ _भाग्य के भरोसे नहीं हूँ, फिर मैं अपनी बुद्धि से कर्म और भाग्य को अपने वश में रखता हूँ जिससे मैं सुखी हूँ|

– राजा ने मुस्कुराते हुए तीनों की ओर देखा और बोले- अब तो तुम सब समझ ही गये होंगे. तीनों ने कुछ नहीं कहा और नतमस्तक होकर चल दिए |
लकड़हारा फिर लकड़ी काटने में जुट गया और  राजा शिकार खेलने चल दिए |

 

प्यारे बच्चो- हम सभी को इस कहानी inspirational story hindi से बहुत बड़ी सिख मिलती है की भाग्य उसी का साथ देता है जो कर्म करता है | 

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