Short motivational story in hindi with moral

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लड़ाई से नुकसान 

किसी जंगल में दो साँड रहते थे – बड़े हष्ट-पुष्ट और शक्तिशाली। दोनों ही साथ-साथ रहते
और हरी-भरी घास खाकर सुख और शान्ति   से जीवन बिता रहे थे।
उसी जंगल में एक सिंह रहता था। एक दिन उस सिंह ने उन साँडों को देखा। उनके मांसल
शरीर को देखकर उसके मुँह में पानी भर आया। वह सोचने लगा – “इन्हें किस प्रकार मारू? यदि एक पर हमला करूँगा, तो दूसरा मुझे सींगों से फाड़ देगा। इसलिए कोई ऐसा उपाय करना चाहिए, जिस से इनमें फूट पड़ जाए। तब मैं एक-एक को मार कर मजे से इनका माँस खा सकूँगा। एक दिन सायंकाल के समय दोनों साँड पेट भरकर आपस में नकली लड़ाई लड़ रहे थे। कभी एक साँड दूसरे को पीछे धकेल देता तो कभी दूसरा साँड पहले को धकेल देता। इस प्रकार नकली लड़ाई से वे परस्पर विनोद कर रहे थे।
तभी सिंह ने उन्हें देख लिया। जब एक साँड ने दूसरे साँड को पीछे धकेला तो शेर बोला उठा
– “अरे! तू तो बड़ा कमजोर है। एक ही धक्के से पीछे चला गया है।”

 

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शेर इस प्रकार कभी एक को प्रोत्साहित करता, कभी दूसरे को। परिणाम यह हुआ कि नकली लड़ाई असली लड़ाई में बदल गई और साँड एक दूसरे की जान के दुश्मन हो गए। अंत में एक साँड हार कर दूर भाग गया। तभी सिंह ने अच्छा मौका देखकर विजयी साँड पर हमला बोल दिया। साँड थका हुआ तो था ही वह सिंह का मुकाबला नहीं कर सका। सिंह ने उसे मार डाला और चीर-फाड़ कर खा गया। इसी प्रकार उसने दूसरे साँड को भी एक दिन धर दबोचा और उसे भी मार कर खा गया। इस तरह फूट के कारण दोनों साँड मारे गये।

सच है – फूट से विनाश ही होता है। अतः दूसरों के वचनों में आकर मित्रों से लड़ना नहीं चाहिए। यदि आप आपस मैं लड़ोगे तो कमजोर हो जाओगे 

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