Short story in hindi // कमाल का कारनामा 

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कमाल  का कारनामा 

नव वर्ष की पूजा के लिए मंडप सजा हुआ था। पूजा होने में अभी देरी थी। घोष, दास और देव एक कोने में खडे आपस में खसर-पुसर कर रहे थे। देव कुछ गुस्से में अपनी सुरीली आवाज़ में गाता हुआ बोला, “अरे अपना बैनेर्जी ओबी तक नहीं आया। सेक्रट्री क्या बना लाट साहब बन गया है।” दास ने अपना पैर हिलाकर अपनी ऊँची पैंट से टखने को ढकने की कोशिश करते हुए कहा, “ओ जाएगा कहाँ, ओबी आता होगा।”

तभी शामियाने के बाहर धड़ाम की आवाज़ हुई, ऐसा लगा जैसे किसी ने बम फोड़ दिया हो। सब लोग घबराकर बाहर की ओर भागे तो सामने से गोल-मटोल बैनर्जी बाबू अपनी पत्नी

और आठ बच्चों को साथ लिए अंदर दिखाई दिए। उन्होंने अंदर आकर लोगों को समझाने की कोशिश करते हुए कहा,  “उधर  बाहर कुछ नहीं हुआ, अपना नया गाड़ी है ना बिल्कुल रॉकेट के माफिक है, इसलिए थोड़ा आवाज करता है।”

 

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देव ने कहा, “इस बैनर्जी का पेट देख रहे हो। लगता है कमीज के नीचे तरबूज छिपाकर लाया है।” इस बार घोष अपनी समझदारी दिखाते हुए बोला, “नहीं, इसके पेट में पूजा का पैसा जमा है। ओबी कहेगा, बोंधु इस बार पूजा का पैसा कम पड़ गया और फिर प्रसाद में सबको सिंघाडे बँटवा देगा और सब पैसा हजम।” इस पर सब रसगुल्ला खाने लायक मुँह खोलकर जोर-जोर से हँसे। उन्हें इस तरह से हँसता देखकर बैनर्जी उनके पास आया और

पान की पीक एक ओर थूकते हुए बोला, “क्या बात है, बहुत जोर से हँसता है।” उनको इस तरह से सामने देखकर तीनों को सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। दास थोड़ा संभलकर बोला, “वो

पूजा का दिन है न इसलिए।” बैनर्जी सामान्य होते हुए बोले, “अच्छा-अच्छा ऐसी बात है, आओ मैं तुम्हें अपनी गाड़ी में शहर की सैर कराता हूँ।” तीनों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि हम पूजा के लिए आए हैं, लेकिन बैनर्जी उन्हें घसीटते हुए बोले, “अरे

अब चलो भी।” उन तीनों को मजबरन बैनर्जी की कार में बैठना पड़ा। बैनर्जी

साहब ने बारी-बारी से कार के सारे बटन दबा डाले, मगर कार   बार-बार गला साफ करके खरखराहट करके खामोश हो जाती। इससे पहले कि उन तीनों में से कोई कुछ कहता बैनर्जी बोल उठे, “गाड़ी में गड़बड़ है। थोड़ा धक्का लगाना पड़ेगा।

देव जरा धक्का तो लगाना।” मरे दिल से देव और घोष धक्का लगाने को नीचे उतरे और

गाड़ी को लात मारकर धक्का मारने लगे। उन्हें इस तरह धक्का मारता देखकर बैनर्जी गुस्से से बोला, “रोटी नहीं खाता क्या। जोर से धक्का लगाओ।” यह सुनकर दोनों का गुस्सा थर्मामीटर तोड़ने लगा। “खुद तो मोटा गाड़ी में बैठा है और हमें गाड़ी में धक्के लगाने को कहता है।” यह कहते हए उन दोनों ने मिलकर जोरदार लात गाडी में जड दी। इतनी जोरदार लात लगते ही गाडी खटाक से स्टार्ट होकर सड़क पर दौड़ने लगी। और देव और घोष सड़क पर पैर पकड़े दर्द से चिल्लाते रहे। उन्हें इस तरह चिल्लाते देखकर बैनर्जी मुस्कराता हुआ दास से बोला, “अच्छा हुआ, दोनों लोग मुझे मोटा बोलता था। सब ठीक कर दिया। अब मैं तुम्हें सारे शहर की सैर करवाऊँगा। कंपनी बाग, बड़ा चौक, जंतर-मंतर सब दिखाऊँगा। तुम भला मानुष है।” इधर बैनर्जी बातें सुन रहा था, उधर गाड़ी की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही थी। दास ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि बैनर्जी साहब गाड़ी ध्यान से चलाइएँ। यह नेशनल हाईवे है। बैनर्जी बोला, “अभी क्या देखा है, इसका असली रफ्तार तो अभी तुमने देखा ही नहीं।” और कुछ ही देर बाद गाड़ी वीडियो गेम की तरह तेजी से झूम-झूमकर चल रही थी। सड़क पर खड़े लोग घबरा कर

इधर-उधर भाग रहे थे। सड़क पर रिक्शे ठेले वालों का बुरा

हाल था। वह अपनी जान बचाने के लिए अपने ठेले को गाड़ी

के आगे छोड़कर भाग जाते थे और हमारी गाड़ी हिंदी फिल्मों  की तरह ठेले के सारे सामान हवा में छितरा देती थी। इसे देखकर बैनर्जी दाँत फाड़कर हँस रहा था। मगर उसकी ये खुशी ज्यादा देर तक नहीं ठहर सको। गाड़ी

के सामने से भूसे से भरा ट्रक आता दिखाई दिया। उसे देखकर बैनर्जी के हाथ-पैर फूल गए। उसने बहुत कोशिश करके

सड़क के बीचों-बीच चल रही गाड़ी को किनारे करने की कोशिश की लेकिन गाड़ी उसी तरह दनदनाती सड़क के बीच

में चलती रही। ट्रक जब गाड़ी के बिल्कुल सामने आ गया तो बैनर्जी ने गाड़ी मोड़ने की आखिरी कोशिश की, मगर इस

कोशिश में गाड़ी का स्टेयरिंग टूटकर बैनर्जी के हाथ में आ गया और ट्रक कार से रगड़ खाता हुआ आगे निकल गया। उनकी

यह हालत देखकर ट्रक ड्राइवर ने बैनर्जी को पंजाबी में ऐसी गाली दी, जिसका मतलब बैनर्जी अब तक नहीं समझ पाए हैं।

गाड़ी की यह हालत देखकर दास रो-रोकर कहने लगा, “बैनर्जी बाब मैंने आपको कभी मोटा नहीं कहा। मुझे तो छोड़ दीजिए।”

बैनर्जी उसे प्यार से समझाता हआ बोला, “नहीं तुम बहुत

भला मानुष है। हम तुम्हें कंपनी बाग दिखलाएगा। तुम डरता

क्यों है, अभी इसका स्टेयरिंग ही टूटा है। यह तो बिना स्टेयरिंग के भी चलता है।”

लेकिन बैनर्जी की कार उसके काबू से बाहर थी। अब वह

कार चलाने के नाम पर बस कार का पों-पों दबाए जा रहे थे।

जिससे सामने वाला डरकर एक तरफ हट जाए। कार की यह हालत देखकर दास ने बार-बार चलती कार से कूदने की कोशिश की।

बैनर्जी, “ओबी से भागता है! ओबी कंपनी बाग तो देखा ही नहीं।” दास जो खिड़की से चिपका बैठा था, बोला, “गाड़ी का टक्कर में मरने से अच्छा है कि इससे कूदकर मर जाऊँ।” और यह कहते हुए दास ने खिड़की से गर्दन बाहर निकाली। वह आँखें बंद करके कृदने ही वाला था कि पीछे से बैनर्जी ने उनकी टाँग पकड़कर खींच ली। “अबे कूद के मरेगा क्या, इस गाड़ी में तो ब्रेक भी नहीं है।

बिल्कुल रॉकेट का माफिक… रॉकेट में भी ब्रेक नहीं होता न… जब गाडी किसी से टकराए, तब एकदम कृद जाना। वसे तुम

हमारा दिल तोड़कर जाता है। तुम्हें कंपनी-बाग घूमने ले जाता

है। उधर कंपनी बाग में सुंदर-सुंदर फूल हैं बड़ा-बड़ा

पेड़ है।” उधर बैनर्जी कंपनी बाग़ की खासियत बतला रहा था और इधर दास की जान सूखी जा रही थी। वह भगवान से दुआ कर रहा था कि कब यह गाड़ी किसी से टकराए और कब वह  माटी से छलांग लगा दे। मगर गाड़ी अब टकराने से बाल-बाल बच रही थी। दास सोच रहा था कि वह अपने सिर के बाल तोडकर बीच में रख दे, जिससे ये बाल-बाल बचना तो

बंद हो जाए। श्री दास यह सोच ही रहा था कि किस्मत का धनी एक वाला सेब बेचता हुआ गाड़ी के सामने आ गया और

दास ने हनुमान जी के चरण कमलों का ध्यान रखते हुए उन्हीं की तरह बाहर छलाँग लगा दी। दास किस तरह रेहड़ी पर गिरा। रेहड़ी किस तरह उछली और सेबों पर से दास किस तरह सड़क पर फिसला, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। बस इतना समझ लीजिए कि जब दास ने सिर उठाकर ऊपर देखा तो बैनर्जी बाबू की गाड़ी उसी तरह सड़क पर धूल

उड़ाती चली जा रही थी। अगली सुबह जब अपने घर दास कराहता हुआ अपनी

हड्डियों पर आयोडैक्स मल रहा था तब देव उसके घर आया और बोला, “अरे तू यहाँ पड़ा हुआ है ! मैं तुझे अस्पताल

देखने गया था। बैनर्जी तो वहीं दाखिल है। उसे तो चलती  गाडी से कदना पड़ा था। बेचारे की सारी हड्रियाँ चटक गईं, मगर तुझे क्या हुआ?” दास ने दर्द से कराहते हुए अपने सफर की आँसू भरी दास्तान सुना डाली। अस्पताल जाकर बैनर्जी बाबू से मालूमहआ कि कार अभी भी रुकी नहीं है और उसकी पैट्रोल की ___टंकी फुल भरी हुई है।

प्रिय पाठको, यदि आपको अपने शहर में टूटी-फूटी, बिना

ड्राइवर के भूत-प्रेतों की सहायता से चलती कार दिखलाई दे तो हमें शीघ्र सूचित करें, क्योंकि हो न हो वो कार बैनर्जी बाबू की ही होगी। 

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