विज्ञान के चमत्कार निबंध से हम जानेंगे कि विज्ञान हमारे लिए अभिशाप है या वरदान है ? { Vigyan ke Chamatkar or Wonder Of Science in Hindi } इस निबंध में विज्ञान के चमत्कार या विज्ञान वरदान हैं या अभिशाप पर निबंध, लेख, महत्व, लाभ तथा हानि की संपूर्ण ज्ञानवर्धक जानकारियां दी गई है।
विज्ञान के चमत्कार
Vigyan ke Chamatkar Essay 500 Words
Outlines of this essay –
- विज्ञान किसे कहते हैं ?
- विज्ञान के चमत्कार क्या क्या हैं ?
- हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान क्या भूमिका है ?
विज्ञान का सामान्य अर्थ है ” विशिष्ट ज्ञान ”। किन्तु विशेष अर्थ में “ मनुष्य के अनुभव और अवलोकन से प्राप्त क्रमबद्ध एवं सुसंगठित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।”
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने जल, थल, नभ, समय, दूरी सब पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है। एक जमाना था जब जादू का चमत्कार हमारे सिर पर चढ़कर बोलता था, पर आज विज्ञान के चमत्कारों (Vigyan ke Chamatkar) के सामने सभी की चमक फीकी पड़ गई है।
यदि बेबीलोन का झूलता हुआ बाग, मिस्र का पिरामिड प्राचीन काल से सात आश्चर्यों में से है, तो बेतार का तार, टेलीविजन, टेलीफोन, चित्रपट, रेडियो, कम्प्यूटर, मुद्रणयंत्र, एक्स-रे, राकेट आदि आधुनिक काल के अद्भुत आश्चर्य हैं।
वर्तमान मानव जीवन इतना सरल और सुलभ विज्ञान के कारण ही हो पाया है। आज हम आराम से अपने घर में बैठे रेडियो से मधुर संगीत सुनते हैं, कमरे में बिजली का उज्जवल प्रकाश बिखरता रहता है। जब टेलीफोन की घंटी बजती है, हम दूर दूर के व्यक्ति से हंस हंस कर बात कर लेते हैं। मोबाइल से बातें तो करते ही हैं, साथ – साथ उस व्यक्ति का चित्र भी हमारे सम्मुख आ जाता है।
अब मोबाइल ऑडियो – वीडियो, कैमरे का भी काम करता है। टेलीविजन द्वारा हमारे कान के साथ-साथ नेत्र भी तृप्त होते हैं।यह सब किस के चलते ? विज्ञान के चमत्कार ही तो है जिसकी वजह से यह संभव हो सका है।
परमाणु बम विज्ञान का अद्भुत चमत्कार है। शक्ति के द्वारा विज्ञान ने बहुत कुछ संभव बना दिया है। इसी तरह सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त कर हमने अजब का गजब कर दिया है।कहने का तात्पर्य यह है कि प्रकृति के ताप , विधुत और चुंबकीय आदि शक्तियों पर मानव का अधिकार बढ़ता चला जा रहा है और विज्ञान इस क्रम में अद्भुत चमत्कारों से हमें चमत्कृत कर रहा है।
राकेट द्वारा हम चंद्रमा, मंगल आदि ग्रहों की यात्रा कर सकते हैं। वायुयान द्वारा कई दिनों की यात्रा कुछ घंटों में तय कर सकते हैं। रेल, बस, मोटर, कार भी यातायात के अत्यंत उपयोगी साधन है। विज्ञान के इन चमत्कारों (Vigyan ke Chamatkar) की उपयोगिता हमारे उपयोग पर निर्भर करती है। विज्ञान का यह विकास उन्नति का परिचय है। जिस प्रकार दीपक तले अंधेरा होता है, उसी प्रकार विज्ञान के चमत्कार की पीछे हानियां भी छुपी हुई है। हमारी थोड़ी सी चूक या मानव मस्तिष्क की विकृति के कारण विज्ञान का कल्याणकारी पक्ष महाविनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
विज्ञान की विजय ने यंत्र युग का निर्माण किया है। आज मनुष्य भी इस युग का एक यंत्र मात्र है। वह प्रकृति से दूर हट गया है। एक दिन विज्ञान मनुष्य का दास था, आज मनुष्य विज्ञान का दास है। बात बात में उसे ही विज्ञान की जरूरत पढ़ती है, विज्ञान की सायता के बिना मनुष्य का एक कदम भी चलना मुश्किल हो गया है।
आज विज्ञान की विजय जी अभिशाप बन गई है। इसी अभिशाप के कारण विज्ञान के सारे वरदान भी हमारे लिए आहितकर साबित हो रहे हैं। अगर मनुष्य विज्ञान की दास्तान से मुक्त हो जाए और उसे अपना दास बना ले, तो विज्ञान की विजय उसके लिए इस पृथ्वी पर ही स्वर्ग का निर्माण कर देगी।
हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान
Vigyan ke Chamatkar par Nibandh _
आज का युग विज्ञान के चमत्कार और प्रसार का युग है। आज विज्ञान ने संपूर्ण मानव जीवन और समस्त विश्व को अपने प्रभाव क्षेत्र में समेट लिया है। आज की दुनिया विज्ञान के पंखों पर बैठकर ग्रह नक्षत्रों की यात्रा कर रही है।
आज की दुनिया अणु -चालित पनडुब्बियों में बैठकर सागर की अतल गहराइयों को माप रही है। आज विज्ञान समस्त भौतिक शक्तियों पर विजय प्राप्त कर खिलखिला कर हँस रहा है।
इन प्राकृतिक शक्तियों में से विज्ञान ने वाष्प , विधुत , ईथर ,गैस , अणु ,परमाणु – जैसी शक्तियों पर कब्जा करके रेल तार मोटर वायुयान रॉकेट कृत्रिम उपग्रह रेडियो टेलीविजन कंप्यूटर इत्यादि निर्मित कर लिया है।
दैनिक जीवन के भोजन वस्त्र आवाज शिक्षा मनोरंजन एवं स्वास्थ्य सेवा आदि सभी आवश्यकताएं विज्ञान पर निर्भर हो गई है। भोजन के लिए आना जरूरी है। इसके लिए विज्ञान ने उन्नत औजार, थ्रेसर, खाद, उत्तम बीज आदि का अविष्कार किया है।
हमारे रसोई घर पर विज्ञान का कब्जा है। गैस चूल्हा , स्टोव , प्रेशर कुकर नए अस्थाई धातु के बर्तन आदि देकर विज्ञान ने हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित किया है।
नायलॉन पॉलिस्टर टेरिलीन टेरीकॉट आदि कृत्रिम रेशम का अविष्कार करके विज्ञान ने हमारे वस्तुओं की आवश्यकता की पूर्ति की है। आज के युग के मनुष्य के लिए पक्के भवन आदि के निर्माण एवं रखरखाव को विज्ञान ने सुलभ बना दिया है।
हमारे नित्यप्रति के कार्यों में शिक्षा और मनोरंजन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व प्रगति कर शिक्षा को सर्वसुलभ बना दिया है। रेडियो ,ट्रांजिस्टर ,टेलीविजन, टेप रिकॉर्डर, वीडियो, ग्रामोफोन आदि हमारे दैनिक जीवन के आवश्यक अंग बन गए हैं।
समय की गति मापने के लिए विज्ञान ने अनेक प्रकार की घड़ियों का निर्माण किया है। स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित किया है अनेक प्रकार की दवाएं तथा यंत्रों का आविष्कार कर विज्ञान ने मानव जीवन को सुरक्षा प्रदान की है।
इसी तरह स्त्री और पुरुषों के सौंदर्य प्रसाधन की अनेक वस्तुएं एवं सजावट के अनेक उपकरण भी विज्ञान ने दिए हैं। गर्मी से बचने के लिए बिजली के पंखे और ठंड से बचाव के लिए हीटर आदि विज्ञान की ही देन है।
दैनिक जीवन में विज्ञान के प्रभावों को गिराना कठिन है। जीवन का कण-कण आज विज्ञान से प्रभावित है। इसलिए आज विज्ञान मशीन मानव का निर्माण कर हमें निष्क्रिय करने पर उतारू है।
विज्ञान अभिशाप है या वरदान
Vigyan ke Chamatkar par Nibandh _
विज्ञान वस्तुतः वरदान है या अभिशाप इसका निर्णय तो उसकी उपलब्धियों के आधार पर ही किया जा सकता है। मानव मात्र की उपलब्धि को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। एक है बाह्य या भौतिक उपलब्धि और दूसरी है आंतरिक या आध्यात्मिक उपलब्धि।
विज्ञान हमारी किस प्रकार की उपलब्धि में किस हद तक साधक या बाधक प्रमाणित हुआ है, इसका विवेचन करके ही हम विज्ञान के संबंध में अपना कुछ मंतव्य प्रकट कर सकते हैं।
विज्ञान ने मनुष्य को बहुत ही क्षेत्र में बहुत उन्नत बना दिया है। प्राकृतिक शक्तियों पर विजय दिलाने में विज्ञान मानव का अनन्य सहायक प्रमाणित हुआ है।
धरती पर के सुदूर भागों तक विचरण करने के लिए विज्ञान ने मनुष्य को रेल, बस, मोटर आदि द्रुतगामी साधन प्रदान किए हैं। उन्मुक्त गगन के घने स्थल को चीरते हुए वायु मार्ग द्वारा भ्रमण करने के लिए वायुयान भी विज्ञान की ही देन है।
इस तरह की वैज्ञानिक उपलब्धि से अनु प्रमाणित होकर मनुष्य चंद्रमा और मंगल जैसे गर्म होता है विचरण करने को भी मचल रहा है। मानवता को दीर्घायु और शक्ति संपन्न बनाने के लिए विज्ञान ने चिकित्सा के क्षेत्र में अद्भुत क्रांतिकारी यंत्रों का वरदान दिया है जो शल्य -चिकित्सा में उनकी समता नहीं रखते है।
कृषि और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अनमोल यंत्र प्रदान किए हैं। मनोरंजन तथा शिक्षा के लिए रेडियो ,दूरदर्शन आदि आश्चर्यजनक साधन दिए जिनके द्वारा मनुष्य घर बैठे ही सभी प्रकार की बातें सुन सकता है और उन दृश्यों का अवलोकन भी कर सकता है। जल, थल, पवन, पानी सभी क्षेत्रों में मनुष्य ने वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण विजय प्राप्त की है।
वैज्ञानिक उपलब्धियों से सशक्त मानव निर्मित विचरण करने लगा। बाह्य शक्ति के मद में चूर मानव अपने आंतरिक तत्व का विस्मरण सा करने लगा। वह विज्ञान से उपलब्ध भौतिक शक्ति का दुरुपयोग करने लगा। यू विज्ञान मानव जाति को धरती पर स्वर्गीय सुख प्रदान करने वाला बन गया था वही उसके विनाश और विध्वंस का कारण बनने लगा।
विज्ञान द्वारा प्रदत भौतिक शक्ति से मदोन्मत्त मानव जगत और जीवन की रहस्य की अवहेलना करके बाह्य शक्ति एवं अधिकारों के लिए ही मचल पड़ा। वह पाशविक हिंसा द्वारा अधिकार सीमा बढ़ाने को व्यग्र हो उठा। उसके हृदय से माननीय सद्गुणों का तिरोभाव सा हो गया।
संसार की सभी वस्तुएं गुण-दोषमय कोई वस्तु केवल अच्छी और केवल बुरी नहीं होती। उसका अच्छा या बुरा होना उसके प्रयोग करता पर निर्भर करता है। उसी तरह विज्ञान भी न स्वतः अच्छा है और ना बुरा है, उसका सदुपयोग करके जब हम उससे लाभ उठाते हैं तब वह वरदान प्रतीत होता है और दुरुपयोग करके जब हम उससे लाभ उठाने के बदले लोगों की बुराई करते हैं तब वह अभिशाप प्रमाणित होता है।
तात्पर्य यह है कि विज्ञान सस्वतः ना तो वरदान है और ना अभिशाप है। उसके सदुपयोग से लाभ उठाने वाले व्यक्ति के लिए विज्ञान वरदान है और जो इसका दुरुपयोग करके विध्वंसात्मक कार्य करते हैं उसके हाथों में पढ़कर विज्ञान अभिशाप बन जाता है।
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